लखनऊ| मायावती द्वारा कही गई बातों पर टिप्पणी करते हुए ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी ने कहा कि आज के दौर में जबकि नस्लवादी हिंदुत्व की ताकत भाजपा अभी भी देश में लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा बनी हुई है, उस समय यह कहना कि पक्ष और विपक्ष दोनों बराबर है, मायावती के अंदरखाने भाजपा समर्थन की जारी नीति का ही परिणाम है। उन्होंने कहा कि यह नोट किया जाना चाहिए कि केवल उत्तर प्रदेश में 16 सीट विपक्ष ने भाजपा के हाथों गंवा दी है, जहां बसपा के प्रत्याशी चुनाव लड़े थे। संविधान के लिए बड़ा खतरा भारतीय जनता पार्टी ने जो पैदा किया है, वह वास्तविक है। यह आन रिकार्ड है कि विचारधारा के स्तर पर आरएसएस और भाजपा ने कभी भी भारतीय संविधान, जिसका मूल तत्व न्याय, समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व है, स्वीकार नहीं किया। विपक्ष को सत्ता पक्ष के समतुल्य बना देना यह दिखाता है कि बसपा अभी भी आज के दौर के राजनीतिक संकट से आंख मूंद रही है और उसकी राजनीति की दिशा भाजपा को लाभ पहुंचाने की है। डॉक्टर अंबेडकर ने जब लड़ाई लड़ी थी तब आरएसएस मुख्य धारा की राजनीति के बाहर थी। आज के दौर में डॉक्टर अंबेडकर के अनुयायियों का सबसे बड़ा काम नस्लवादी भारत को बनाने का जो सपना आरएसएस ने पैदा किया है, उसे सफल नहीं होने देना है।

यह सही है कि मुलायम सिंह की सरकार के दौर में प्रमोशन में आरक्षण की नीति को खत्म किया गया था। लेकिन इस सिलसिले में 2007 से 2012 तक चली मायावती सरकार भी दोष मुक्त नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मायावती ने पिछड़ेपन और प्रतिनिधित्व का सर्वे नहीं कराया और प्रमोशन में रिजर्वेशन की नीति को लागू किया जो बाद में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द कर दी गई।

ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट जो दलित, शोषित और मेहनतकश वर्ग के लिए अपनी पूरी ताकत से काम करता है, ने सभी अंबेडकरवादियों से अपील की है कि वह बेशक विपक्ष की अवसरवादी नीति के बारे में आलोचनात्मक रूख रखें और अपनी स्वतंत्रता बनाए रखें लेकिन आज के दौर में भाजपा के विरुद्ध सभी अंबेडकरवादी ताकतों को गोलबंद होना होगा और जोड़-तोड़ की राजनीति से बाज आना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो जिस तरह महाराष्ट्र में दलित आंदोलन खंड-खंड में बंट गया इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी दलित समाज टुकड़ों में बंट जाएगा।

दलित, शोषित समाज को यह भी ध्यान रखना है कि डॉक्टर अंबेडकर विचार परंपरा में कोई उत्तराधिकारी नहीं घोषित किया जा सकता। यह लोकतंत्र विरोधी परंपरा काशीराम ने अपना उत्तराधिकारी मायावती को बनाकर शुरु की थी, उसी राह पर मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी बनाया है।