बिहार सरकार छात्रों के बर्बर दमन पर रोक लगाए
छात्रों से वार्ता कर उनके सवालों को हल करे बिहार सरकार
(पीडीआर ग्रुप)
लखनऊ|कल पटना में शांतिपूर्ण ढंग से धरना दे रहे बीपीएससी अभ्यर्थियों पर बर्बर लाठीचार्ज किया गया। रोजगार अधिकार अभियान ने बिहार पुलिस व प्रशासन के इस कृत्य की कड़ी निंदा की है। उप-मंडल अधिकारी / वरिष्ठ डिप्टी कलेक्टर, पुलिस उपाधीक्षक आदि जैसे 2035 रिक्त पदों के लिए बीपीएससी की 70 वीं प्रारंभिक परीक्षा 13 दिसंबर 2024 को आयोजित की गई जिसमें 4.80 लाख छात्रों ने आवेदन किया था। पटना के बापू भवन केंद्र के 5,000 से ज्यादा छात्रों के लिए पुनर्परीक्षा का आदेश इसलिए देना पड़ा क्योंकि यहां प्रश्नपत्र देरी से पहुंचा। इतने छात्रों के लिए अलग से परीक्षा आयोजित कराने में नार्मालाईजेशन कराना पड़ेगा। इसे लेकर छात्रों में गहरा अविश्वास है क्योंकि इसमें न तो वैज्ञानिक पद्धति है और न ही पारदर्शिता। ठीक यही मामला उत्तर प्रदेश में भी था, जिसमें छात्रों के आंदोलन के बाद उत्तर प्रदेश सरकार को कई चरणों में लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं को आयोजित कराने के निर्णय को वापस लेना पड़ा।
पहला गंभीर सवाल तो यही है कि बिहार की सर्वाधिक प्रतिष्ठित परीक्षा में कुछ केंद्रों में देरी से प्रश्न पत्र क्यों पहुंचा जिससे इन परीक्षा केंद्रों में पुनर्परीक्षा की नौबत आई। बिहार में जदयू व भाजपा की सरकार है। भाजपा वन नेशन वन इलेक्शन की पैरोकार है और इसकी जोर-शोर से वकालत कर रही है। ऐसे में छात्रों की एक परीक्षा को एक चरण में कराने की मांग को क्यों स्वीकार नहीं किया जा रहा है। सरकारी नौकरियों में कितनी प्रतिस्पर्धा है आप खुद देखें कि इस परीक्षा में जिसमें 2035 पद हैं जिसमें 4.80 लाख छात्रों ने आवेदन किया। ध्यान देने योग्य बात है कि बिहार में 16 लाख से ज्यादा सृजित पदों में से 4.73 लाख पद अभी भी रिक्त हैं। अगर प्रदेश में शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं को बेहतर बनाया जाए तो लाखों पदों के सृजन की जरूरत पड़ेगी। रोजगार अधिकार अभियान की ओर से बिहार की जदयू व भाजपा सरकार से मांग है कि छात्रों के बर्बर दमन पर तत्काल रोक लगाए और उनसे वार्ता कर उनके इन सवालों को हल करे।