युवाओं के मन में चलने वाले उथल पुथल विचारों को नई दृष्टि देती है स्वाध्याय
जाति,धर्म और छुआ छूत की भावनाओ से दूर रहे युवा
(पीडीआर ग्रुप)
गोविंदपुर| म्योरपुर ब्लॉक के गोविंदपुर स्थित बनवासी सेवा आश्रम में चल रहे चार दिवसीय युवा शिविर के दूसरे दिन प्रकृति प्रार्थना,और उससे जुड़ा हमारा जीवन हमारे कर्तव्य के चर्चा श्रमदान और गीत के साथ सत्र की शुरुआत हुई ,अपने संबोधन में शासन, स्वशासन एवं स्वयंशासन पर बात करते हुए सर्वोदय समाज के राष्ट्रीय संयोजक वरिष्ठ साहित्यकार संतोष कुमार द्विवेदी ने कहा कि शासन एक प्रणाली है जिससे किसी भी देश, राज्य या संगठन का प्रबंधन और नियंत्रण किया जाता है। यह प्रणाली संविधान की मूल भावना के अनुरूप निर्धारित नीतियों, कानूनों, नियमों और प्रक्रियाओं के माध्यम से संचालित होती है। जबकि स्वशासन समुदाय या संगठन की स्वायत्त व्यवस्था होती है । जिसे वह स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप बनाते वो समुदाय या संगठन के सदस्यों की आम राय से चलते हैं। आदिवासी क्षेत्रों में पेसा एक्ट के तहत आदिवासी स्वशासन की स्थापना का लक्ष्य है ।
जबकि स्वयंशासन खुद के आत्मशासन और आत्मसंयम पर निर्भर है । स्वराज्य की व्याख्या महात्मा गांधी ने आत्मशासन और आत्मसंयम के रूप में की थी।
आत्मशासन और आत्मसंयम के बिना स्वराज्य नहीं मिल सकता । उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे आस
अध्ययनशील बने जिससे अपने अन्दर उठ रहे सवालों और उथल पुथल वाली सोच का सही समाधान निकाल सके।शुभा प्रेम ने प्रकृति और मनुष्य के जीवन से रिश्ते की चर्चा की।युवाओं को रोज श्रम करने का आह्वान किया और कहा कि हर एक को कलम चलाने की नौकरी मिलना संभव नहीं ,हमे शारीशिक और सामूहिक श्रम के प्रति निष्ठा रखनी चाहिए। उन्होंने सभी धर्मों आ आदर करने की बात कही और कहा कि जब हम सभी का आदर करेंगे तो आपस का मैत्री भाव भी बढ़ेगा और मिल जुल कर रह सकेंगे। कहा कि हम युवाओं को जाति,धर्म,छुआ छूता से परे रह कर नए समाज की नीव को मजबूत करना होगा।प्रदीप पांडेय और राकेश कुमार ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए समाज ,के मूल तत्वों पर चर्चा की।जबकि मोनिका यादव, ने गीत से युवाओं में जोश भरने का काम किया। मौके पर मनोज यादव,अभिषेक,नीरा देवी,चंद्रावती,राम कुमार,सहित युवा मौजूद रहे।